1. कहानी (Kahaani)
फ़िल्म शुरू होती है 2 साल पहले हुई एक घटना से और वो घटना क्या
है? कोलकाता की मेट्रो रेल मैं एक अज्ञात इंसान द्वारा ज़हरीली गैस लीक कराई जाती है
उस घटना से बहुत से लोग मारे जाते हैं उनकी हत्या कर दी जाती है फ़िल्म तो 2 साल के
बाद शुरू होती है जब विध्या बापजी लंदन से कोलकाता आती हैं और अपने पति की गुमशुदगी
की रिपोर्ट लिखवाती हैं वहाँ उन्हें पता चलता है के इतना आसान नही है अपने पति को ढूंढना
वो 7 महीने की गर्भवती महिला हैं और ऐसी हालत मैं भी उन्हें पुलिस स्टेशन के चक्कर
लगाने पड़ते हैं विध्या बापजी अपने पति की फ़ोटो एच आर डिमैलो के पास छोड़ जाती हैं तब
डिमैलो को पता चलता है के अर्नब बापजी की तरह दिखने वाला एक आदमी उस कंपनी मैं काम
करता था पर उसका नाम अर्नब नही था विध्या बापजी से मिलकर डिमैलो बताती हैं कि अर्नब
बापजी तो नही पर उनकी तरह दिखने वाला एक इंसान जिसका नाम मिलन दामजी था वो उस कंपनी
मैं काम करता था पर अब वह लापता है डिमैलो कहती हैं के जल्द से जल्द मैं और जानकारी
लाकर देती हूं पर डेमोले की हत्या हो जाती है फ़िल्म देखते देखते दर्शकों को एहसास हो
जाता है कि कहीं ना कहीं मिलन दामजी का लिंक 2 साल पहले हुए मेट्रो हत्याकांड से है
विध्या बापजी पर जानलेवा हमला होता है के वो मिलन दामजी के केस से दूर रहे नही तो उन्हें
भी मार दिया जाएगा एक डॉक्टर जो मिलन दामजी के ब्लड ग्रुप से जुड़ा कुछ बताने वाला होता
ह पर डॉक्टर की भी हत्या कर दी जाती है फ़िल्म का अंत कुछ ऐसा है जो दर्शकों को हैरत
मैं डाल देता है
2. 404 (404)
इस फ़िल्म के बारे मे आपने कम ही सुना होगा क्योंकि ये फ़िल्म ज़्यादा
चल नही पाई थी फ़िल्म 2011 मे पर्दे पर आई थी फ़िल्म की कहानी प्रोफेसर अनुरुद्ध की है
जिनका मन्ना है के अगर आप किसी चीज़ के होने की वैज्ञानिक कारण नही देते तो वो चीज़ इस
दुनिया मे है ही नही उनके कॉलेज मैं एक रूम है जिसकी संख्या 404 है उस रूम मे कॉलेज
के एक लड़के ने आत्महत्या कर ली थी यही कारण है के कॉलेज का कोई भी विद्यार्थी 404 रूम
लेने से मना कर देता है रूम 404 मे आज भी उस लड़के की मौजूदगी महसूस की जा सकती है रोमांच
से भरी ये फ़िल्म दर्शको को कुछ खास पसंद नही आई लेकिन क्रिटिक्स को यह फ़िल्म बहुत पसंद
आई थी इसलिये टाइम्स ऑफ इंडिया ने 4 स्टार्स दिये थे दैनिक भास्कर ने 4.5 स्टार्स दिए
थे ज़ूम टीवी ने भी 4 स्टार्स दिये थे
3. तलाश (Talaash)
तलाश एक सस्पेंस ड्रामा फ़िल्म है फ़िल्म मैं सुरजन शेखावत (अमीर
खान) पुलिस ऑफिसर हैं शेखावत की बीवी रौशनी (रानी मुखर्जी) और करीना कपूर एक एक कॉल
गर्ल है विवान भटना जो अरमान कपूर हैं
फ़िल्म शुरू होते ही अरमान कपूर की गाड़ी पुल से नदी मैं जा गिरती
है यह केस शेखावत के हाथ आता है जल्द ही शेखावत इस नतीजे पर आते हैं कि अरमान की गाड़ी
के आगे कोई आया होगा और उसे बचाने के वजह से अरमान की गाड़ी नदी मैं गिर गयी होगी पर
चश्मदीद गवाहों का कहना था के जब गाड़ी नदी मैं गिरी तो कोई भी पुल पर मौजूद नही था तो फिर गाड़ी नदी मैं गिरी कैसे शेखावत
को पता चलता है के उसी जगह पर और भी दुर्घटना हुई हैं और नतीजा न निकलने पर उन केसो
को बंद कर दिया गया पर शेखावत नही चाहते कि ये केस भी बंद हो रोज़ी शेखावत को कुछ बाते
बताती है जो केस सुलझाने मैं आगे काम आती है इसी दौरान शेखावत एक ग़म मैं जी रहे होते
हैं शेखावत का और रोशनी का बेटा एक दुर्घटना मैं मारा गया था जिसका गुनहगार शेखावत
खुद को मानते हैं उनका मानना है के उनकी लापरवाही की वजह से उनका बेटा मारा गया और
वो खुद को माफ ही नही कर पाते ऐसे हालात मैं वो केस सुलझाने की कोशिश करते हैं रोज़ी
शेखावत से कहती है कि एक दिन उनकी एक दोस्त जो कॉल गर्ल थी वो मर गयी थी कॉल गर्ल होने
के वजह से किसी ने परवाह नही की तो आखिर कौन थी वो दोस्त और कौन थी रोज़ी और क्यों वो
शेखावत की इतनी मदद करती है इन सब सवालो के जवाब फ़िल्म के अंत मे मिलते हैं
4. ब्लू ऑरेंज (Blue Orange)
इस फ़िल्म के बारे मे कुछ बोलना मतलब सस्पेंस को तोड़ना ह ओर इसलिए
हम आपको ज़्यादा कुछ नही बताएंगे फ़िल्म का कम प्रोमोशन होने के वजह से बहोत कम लोगो
को इस फ़िल्म के बारे मे पता है 2009 मे आई ब्लू ऑरेंज क्राइम सस्पेंस से भरी है फ़िल्म
की कहानी एक ऐसी लड़की(पूजा कमल) की है जो बहुत शराब पीती है उसकी हत्या हो जाती है
यह केस डिटेक्टिव नीलेश के पास आता है फ़िल्म के सारे किरदार शक के घेरे मैं होते हैं
अदालत मे पूछे गए सवाल जवाब फ़िल्म को बांधे रखते हैं और सस्पेंस बढ़ाते रहते हैं फ़िल्म
के क्लाइमेक्स मे हर बात से पर्दा उठता है और सबको अचम्भित कर देता है
5. डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी (Detective Byomkesh Bakshy)
जैसा कि नाम से पता चलता है यह फ़िल्म डिटेक्टिव के ऊपर बनी है अजीत
बैनर्जी (आनंद तिवारी) के पिता पिछले 2 महीने से लापता हैं इसलिए वो ब्योमकेश बक्शी
(सुशांत सिंह राजपूत) से मिलते हैं और कहते हैं मेरे पिता पिछले 2 महीने से लापता हैं
आप मेरी मदद करो उन्हें ढूंढने मे ब्योमकेश बक्शी केस ले लेते हैं और काम पर लग जाते
हैं जल्द ही उन्हें पता चलता है भुवन बैनर्जी अजित बैनर्जी के पिता का खून हो चिक है
वो मरे नही बल्कि उनका खून हो चुका है अब वो ख़ूनी को ढूंढने मे लग जाते हैं और वो ये
भी जानना चाहते हैं कि खून हुआ क्यूँ ब्योमकेश बक्शी की जान को भी खतरा होता है वो
खूनी को तो ढूंढ लेते हैं पर उन्हें ये पता नही चलता के भुवन बैनर्जी को खूनी ने मारा
क्यूँ था अब वो इस सवाल की तलाश मे लग जाते हैं अंत मे उन्हे खूनी और खूनी ने खून क्यों
किया था पता चल जाता है और साथ ही बहुत से राज़ भी खुल जाते हैं
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