न्यूटन एक महान वैज्ञानिक जिन्होंने बताया के किसी भी वस्तु को
प्रस्तुत करने के लिए हमे 3D की ज़रूरत होती है पूरे ब्रह्मांड मे समय सबके लिये समान
होता है ब्राम्हण हमारे हर तरफ है हम किसी भी वस्तु को प्रस्तुत करने के लिए 3D का
इस्तेमाल करते हैं जिसमे XYZ एक्सिस होते हैं XYZ से हमे वस्तु की लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई
और गहराई पता चलती है
अगर आपके लिए 1 घंटा बीत चुका है तो ब्राह्मण मे सबके लिए 1 ही
घंटा बीता है वो चाहे ब्राम्हण के किसी भी कोने मे क्यों ना हो समय सबके लिए समान है
पर सन 1905 मे आइंस्टीन ने स्पेशल थेओरी ऑफ रिलेटिविटी और सन
1915 मे जनरल थेओरी ऑफ रिलेटिविटी लाकर न्यूटन को गलत साबित किया कि समय सबके लिए समान
है
समय जिसे देखा नही जा सकता जिसे छुआ नही जा सकता पर महसूस ज़रूर
किया जा सकता है जितना सरल समय का नाम है ये इसे समझना उतना सरल नही है आइंस्टीन जिनकी
सोच ने ब्राह्मण को देखने का नया नज़रिया दिया उनका मानना था के समय सबके लिए एक जैसा
नही रहता ब्राम्हण मे अलग - अलग परिस्थिति मे समय भी अलग-अलग गुज़रता है समय की गति
वेलोसिटी और ग्रैविटेशनल फील्ड पर निर्धारित होता है ग्रेविटी और वेलोसिटी के बढ़ने
से समय की गति धीमी हो जाती है।
उदाहरण के तौर पर दो भाई हैं जिनकी उम्र समान है उनमें से एक भाई
पृथ्वी से दूर एक यान मे जाता है जिसकी गति लाइट के समान होती है और दूसरा भाई पृथ्वी
पर ही रहता है 10 साल बाद जब वह वापस आता है तो देखता है पृथ्वी पूरी तरह से बदल चुकी
है उसके भाई का कोई नामो निशान भी ना रहा।
स्पेस (ब्राम्हण) और टाइम (समय) दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं अगर
हमारी स्पीड (गति) लाइट (रोशनी) की स्पीड के बराबर हो जाये तो टाइम हमारे लिए रुक सा
जाएगा
उदाहरण के तौर पर कोई इंसान किसी को मिलने के लिए बुलाता है तो
उसे स्पेस और टाइम दोनों बताने पड़ेंगे जैसे राम ने श्याम को सुबह 5 बजे पार्क मे बुलाया
अब इसमें सुबह 5 बजे समय है और पार्क स्पेस अगर राम ने श्याम को स्पेस या टाइम मे से
एक नही दिया होगा तो राम और श्याम कभी नही मिलेंगे।
गति ब्रम्हाण और समय के द्वारा भविष्य मे जाया तो जा सकता है पर
वापस नही आया जा सकता।
आसान शब्दों मे थेओरी ऑफ रिलेटिविटी
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