दुनिया भर मे पानी की कमी होती जा रही है और इसके कारण हम खुद ही हैं जानते हैं कैसे ? पानी को लेके आपके दिमाग मे सबसे पहली बात कौन सी आती है मेरे दिमाग में तो आता है जल ही जीवन है या फिर पानी बिन सब सून वाकई दुनिया में पानी बिना कुछ भी संभव नहीं है. इसलिए हम सभी को जल संरक्षण करना चाहिए शायद आपको ये भी पता हो की हमारे शरीर को बनाने मे 70% पानी का हाथ है. इस प्रकर्ति मे हमारे आस पास कुछ भी बना हो उसमे कहीं ना कहीं पानी ही हिस्से दारी है मिसाल के तौर पर जीन्स जो हम आमतौर पर पहनते हैं इसे बनाने में कितना पानी लगा है ये जान कर आप हैरान हो जायेंगे


Save Water Save Earth and Save Life



क्या है आभासी पानी (Virtual Water) ?

यानि आभासी पानी का है मतलब जो होकर भी दिखाई ना दे जैसे किसी एक जीन्स को बनाने मे 8000 लीटर पानी लगता है जो 53 बाथ टबो के बराबर है. पर कैसे ? कपास को उगने मे बहोत पानी की ज़रूरत होती है बारिश ना हो या बारिश कम हो तो कपास को पानी देना पड़ता है कपास को जीन्स में बदलने के लिए उसे धोना रंगना और ब्लीच करना पड़ता है इसमें बहुत सारा पानी लगता है आभासी पानी वो पानी है जिससे हमारे इस्तेमाल की सारी चीज़ें बनती हैं.


1 किलो कॉफ़ी बीन्स उगाने के लिए 19000 लीटर पानी चाहिए. 1 किलो टमाटर के लिए 184 लीटर पानी चाहिए. जिन देशों के पास पर्याप्त पानी है वहां इसके ज़ादा इस्तेमाल से कोई समस्या नहीं लेकिन बहुत से देशों में पानी की किल्लत हो रही है कुछ खास चीजें पैदा करने के वजह से पानी का स्तर घटता जा रहा है ऐसे में ज़रूरी है के हम जल संरक्षण करें जब हर इंसान जल संरक्षण करेगा तो पानी ज्यादा से ज्यादा बच पायेगा 


अराल सागर में जल स्तर 18 मीटर घट गया है कपास की खेती की वजह से इसी तरह दक्षिणी स्पेन में टमाटर उगते हैं लेकिन वहां जमीन सूखी है इसलिए पाइपों से सिंचाई की जाती है जिससे ग्रीन हाउस गैसे निकलती हैं. ब्राज़ील में भी पीने के पानी की बहुत किल्लत है लेकिन कॉफ़ी के पौधों को भरपूर पानी दिया जाता है क्यूंकि देश को इसके निर्याप्त से आमदनी होती है

यूरोप का भी जलस्तर गिर रहा है

भरपूर पानी से उगने वाली ये चीज़े जैसे टमाटर, कॉफ़ी बीन्स, जीन्स आदि यूरोप में आती हैं इन्हें पैदा करने के हिसाब से देखें तो जर्मनी में हर एक इंसान 3900 लीटर पानी का इस्तेमाल करता है. बहोत सी बनने वाली चीज़ो में बहोत सा पानी लगता है लेकिन हमें अंदाज़ा नहीं होता कितना पानी लगा कर कोई चीज़ बनी है.


एक इंसान दिन में लगभग 100 से 150 लीटर पानी का इस्तेमाल करता है

कभी आपने गौर किया है के एक टॉयलेट में कितना पानी खर्च होता है एक बार के फ़्लैश करने में 5 लीटर से 8 लीटर पानी खत्म हो जाता है. इसी तरह जब आप शावर के नीचे नहाते हैं तो लगभग 40 लीटर पानी खर्च होता है. वाशिंग मशीन मे एक बार कपड़े धोने के लिए 50 से 100 लीटर पानी लग जाता है. सिंक में एक छोटे परिवार के बर्तन धोने के लिए 20 लीटर पानी लग जाता है ये पानी का खर्च एक व्यक्ति या एक परिवार का है सोचिये इस दुनिया में 7.8 अरब लोग रहते हैं हिसाब लगाइये रोज़ उन्हें कितने पानी की ज़रूरत पड़ती होगी अगर हम सब जल संरक्षण में हिस्सा लें तो काफी पानी बचेगा


दुनिया में ज़मीन से ज़ादा पानी फिर भी पानी की दिक्कत क्यों ?

हमारी पृथ्वी का दो तिहाई हिस्सा पानी से ढका है इसलिए इसे नीला गृह भी कहते हैं इस हिसाब से देखें तो पानी की ज़रा भी कमी नहीं होनी चाहिए लेकिन परेशानी ये है के पृथ्वी पर मौजूद ज्यादातर पानी खारा है इसलिए ये पीने लायक नहीं है दुनिया में सिर्फ 1 % ही पानी पीने लायक है इसे ताज़ा पानी भी कहा जाता है पृथ्वी के सभी इंसान और जानवर इस 1 % पानी के सहारे हैं लेकिन इसे बराबर नहीं बांटा जाता है विकसित देशों विकसित शहरो में पानी की खूब बर्बादी होती है वहीँ दूसरी तरफ दुनिया के पिछड़े इलाको में लोग पीने के पानी के लिए भी तरसते हैं


ज़रूरत की चीज़े कर रहीं है जलस्तर नीचे

जिन छेत्रो में पानी की सबसे ज़ादा खपत होती है उसमे खेती सबसे ऊपर है इसमें भी गेहूं चावल कपास गन्ना जैसी फसलों को सबसे ज़ादा पानी चाहिए इसके बाद बारी आती है कपड़ा उद्योग की और पानी की खपत के मामले में तीसरे नंबर पर बारी आती है मीट उद्योग की चौथे नंबर पर तरल पदार्थ जैसे कि कोला, जूस, सोडा और बीयर और ऐसे बहुत सारे दुसरे पदार्थ बनाने वाले उद्योग और फिर आता है ऑटो सेक्टर क्या आपको पता है एक सदाहरण सी कार बनाने में 1.5 लीटर पानी खर्च हो जाता है


भारत में खत्म हो रहे हैं पानी के श्रोत जल संरक्षण करना है जरूरी

भारत मे बढ़ रहे पानी के खतरों में सबसे बड़ी वजह पानी का गन्दा होना भी है 38,354 मिलियन लीटर पर डे ( MLD ) गन्दा पानी निकलता है जो पीने लायक नहीं होता है और इतने गंदे पानी को साफ़ करने के लिए वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की कैपेसिटी 11,786 ( MLD ) है जो 3 गुना कम है और ये हमारे पीने के पानी के श्रोतो को भी नुकसान पहुंचता है अगर ऐसे ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं जब हर जगह पानी की किल्लत होगी चाहे शहर हो या गाओं


समाधान जल संरक्षण करें और इन्हें इस्तेमाल करें तो फर्क पड़ेगा

अब बात करते हैं इसका समाधान क्या है क्या हम खाना पीना कम कर दें या कपड़े पहनना छोड़ दें या फिर गाड़ियों से आना जाना बंद कर दें पर हम ऐसा नहीं कर सकते हमें कुछ और उपाए निकलना होगा बस कोशिश करें जो भी चीज़ इस्तेमाल करें किफ़ायत से इस्तेमाल करें पानी की बर्बादी ना करें जिन चीज़ों की ज़रूरत ना हो उन्हें ना खरीदें. जानते हैं ऐसे ही कुछ और तरीके जिनसे ज़ादा से ज़ादा पानी बचाया जा सके


संभव हो तो नए नए कपड़े काम ख़रीदें जब नए कपड़े ख़रीदें तो उनका सही से इस्तेमाल करे

ज़ादा से ज़ादा समय तक कपड़े चलाये ऐसा ना करें एक दो बार पेहेन कर फेक दिया

टॉयलेट में कम फ्लो वाला फ़्लैश इस्तेमाल करें

जब ज़रूरत ना हो फ़्लैश की तो फ़्लैश ना करें

ब्रुस करते या दाढ़ी बनाते समय नल को कम खोलें और खुला ना छोड़े

शावर में नहाने का वक़्त कम करें जल्दी नहाने से पानी कम खर्च होता है

अगर हो सके तो बारिश के पानी को जमा करें और उसका इस्तेमाल करें

अगर कोई नल या पाइप लीक है तो उसे ठीक कराये

कूड़े को पानी में ना फेकें इससे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट तक गन्दा पानी आसानी से नहीं पहुँच पाता है

जल संरक्षण के और भी बहुत से तरीके हो सकते हैं सोचिये और सबको बताईये हो सके तो कमेंट करिए ताकि सबको पता लग सके.


Visit Fungistan.in